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Showing posts from January 5, 2020

ईसाले सवाब करना फातेहा करना कैसा ?

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* ISAALE SAWAAB YANI FATIHA KARNA KAISA❓*4 Sab se pahle yah Janna jaroori hai ki fatiha kahte kise hai Aur log fatiha Padhte kyu hai? Naam aaj chahe jo bhi lete hai log, iska maqsad sirf isaale sawaab hai example kisi ka wisaal/wafat ho gaya ho unko sawaab pahunche isliye logo ko pani pilana ya fir khana khilana,us khane par quraane pak ki aayate padhna aur uska sawaab marhum ko pahunchana.Kisi bhi nek amal jis ke karne se sawaab mile us amal ka sawab marhoom ko pohchana Fatiha (Esale Sawab) hai.Ise kahte h isaale sawaab fatiha. *Dalil Hadees Shareef Se:👇* Hazrat Saad Bin Ubada رضي الله تعالى عنهbayan karte hai ki unhone kaha Ya Rasulallah صلی اللہُ علیہِ و آلہِ وسلمِ! Saad ki walida faut ho gayi. Pas kis cheez ka sadqa karna sabse afzal hai? Aap صلی اللہُ علیہِ و آلہِ وسلمِ ne farmaya PAANI KA. Unhone kuwa khudwaya aur kaha yeh  (kuwa) Saad ki maa ke liye hai.``` *[¤ SUNAN ABU DAWOOD, KITAB UL ZAKAT, JILD1]* Is hadees shareef se pata chalta hai ki logo ko pani pilane se s

हश्र का बयान

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👉                Indian Islamic Posts।               👈                     *हिन्दी/hinglish*                    *आसारे क़यामत-12*                            * हश्र का बयान* *ⓩ सिर्फ हमारे और आपके आक़ा जनाब अहमदे मुजतबा मुहम्मद मुस्तफा सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम ही कपड़ो के साथ क़ब्रे अनवर से तशरीफ लायेंगे बाकी तमाम अम्बिया व औलिया व इंसान बरहना ही ज़ाहिर होंगे* * अम्बिया में सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को कपड़े पहनाये जायेंगे फिर बाकी अम्बिया को फिर तमाम सालेहीन को  📕 मिश्कात,जिल्द 2,सफह 483 * क़यामत का एक दिन 50,000 साल का होगा और हश्र का मैदान मुल्के शाम की सरज़मीन पर वाक़ेय होगा उस दिन ज़मीन ऐसी हमवार यानि बराबर कर दी जायेगी कि अगर राई का एक दाना ज़मीन के आखिरी कोने पर भी पड़ा होगा तो दूसरे किनारे वाले को दिखेगा,और ज़मीन तांबे की हो जायेगी और सूरज 1 मील के फासले पर होगा और उसका मुंह ज़मीन की तरफ होगा,जब बन्दे क़ब्र से निकलेंगे तो कोई पैदल तो कोई सवारी पर सवार होगा किसी पर 2-2 बैठे होंगे तो किसी पे 3-3 तो किसी पर 10-10 लोग सवार होंगे और काफिर को मुंह के बल घसीटते हुए मैदा

आए सबा मुस्तफा से कह देना गम के मारे सलाम करते है।

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Aye Saba Mustafa Se Keh Dena Ghum Ke Maare Salam Kehte Hai Yaad Karte Hain Tumko Shamo Sahar Besahare Salam Kehte Hai Allah Allah Huzoor Ki Baatein Marhaba Rango Noor Ki Baate Chand Jinki Balaye Leta Hai Aur Taare Salam Kehte Hai Aye Saba Mustafa Se Keh Dena Ghum Ke Maare Salam Kehte Hai Jab Muhammad Ka Naam Aata Hai Rehmato Ka Payaam Aata Hai Lab Hamare Durood Parte Hai Dil Hamare Salam Kehte Hai Aye Saba Mustafa Se Keh Dena Ghum Ke Maare Salam Kehte Hai Allah Allah Huzoor Ke Gesu Bheeni Bheeni Mehakti Woh Khushboo Jinse Ma’moor Hai Fizaa Harsu Woh Nazaare Salam Kehte Hai Ae Saba Mustafa Se Keh Dena Ghum Ke Maare Salam Kehte Hai Zaire Taiba Tu Madine Me Pyare Aaqa Se Itna Keh Dena Aap Ki Garde Raah Ko Aaqa Besahare Salam Kehte Hai Ae Saba Mustafa Se Keh Dena Ghum Ke Maare Salam Kehte Hai Zikr Tha Aakhari Mahine Ka Taz Karaa Chir Gaya Madine Ka Hajiyo Mustafa Se Keh Dena Ghum Ke Maare Salam Kehte Hai Ae Khuda Ke Habeeb Pyare Rasool Yeh Hamara Salam Kijiye Kubool Aaj Mehfil

किसी की गीबत न करो

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🌴 हदीस शरीफ की रोशनी🌴🔮 *🌸ना किसीकी गीबत करो-ना  किसी पर तोहमत लगावो🌸*        *🔷🌹मफहूम-ए-हदीस🌹🔷*  *🍀हजरत अबु हुरेराह (रदीअल्लाह अन्हो)से रिवायत हैं कि,हुजूर नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलयहे वसल्लम) ने फरमाया:-* *🔮“तुम जानते हो गीबत क्या है?”* *🍃लोगों ने कहा:- “अल्लाह ओर उसके रसुल बहेतर जानते है।”* *🔴आप सरकार ﷺ ने फरमाया:-* *🔮“गीबत यह है के तुम अपने भाई का जिक्र करो इस तौर पर के अगर वोह सामने हो तो उसे अच्छा ना लगे।”* *🍃लोगों ने कहा:- “ऐ अल्लाह के रसूल ﷺ ! अगर उसमें वोह ऐब मोजूद हो तो ?”* *🔴आप सरकार ने फरमाया:-* *🔮“जभी तो गीबत हुई, नही तो खुली तोहमत (इल्ज़ाम) होगी...।”* *🌻(सहीह मुस्लिम, जिल्द नं 4,बाब नं.1070, हदीस नं.6265)🌻* �❇* *💛दिल की केफीयत की अहमियत💛*           *🍃मफहूम-ऐ-हदीस🍃*  *💧हजरत नुअमान बीन बसीर (रदीअल्लाह अन्हो) से रिवायत है कि मेने रसुलल्लाह  ﷺ से सुना कि:-* *🔮"सुन लो ! बदन मे एक गोस्त का टुकड़ा हैं जब वोह दुरस्त होगा तो सारा बदन दुरस्त होगा ओर अगर वोह बिगड़ गया तो सारा बदन बिगड़ गया ओर वोह तुम्हारा दिल है।"* *🌻(सहीह बुखारी शरीफ: 52)

non Muslims ke saath kesa bartaw karna chahiye

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*गैर मुस्लिम (Non Muslim) से इस्लाम में पैग़ाम* ------------------------------------- _*👉ग़ैर मुस्लिम (Non Muslim) (पुरूष हो या महिला) का मस्ज़िद में जाना स्वीकार (Allowed) है।*_ ------------------ 📚 क़ुरआन (अल तौबा 9:28) --------------------------------- *👉 ग़ैर मुस्लिम महिलाओं को मस्ज़िद में आने से मना ना करे । _अगर कोई शौच /हाजत,  पानी पीने या मुस्लिम नमाज़ कैसे पढ़ते हैं ये देखने आए।_* 📚( फतवा अल लजनह अल दाईमह 6/276) (Fatwa Al Lajnah Al Daa'imah 6/276) *ग़ैर मुस्लिम (हिंदु, ईसाई आदि) के साथ भी अच्छा (सुलूक) बर्ताव करना* ------------------------------------ *क़ुरआन👇* 👉 _*अल्लाह तुम्हें गैर मुस्लिम के साथ अच्छा सुलूक और इंसाफ़ करने से नहीं रोकता जिन लोगों ने दीन के बारे में तुमसे लड़ाई नहीं की और तुम्हें घरों से नहीं निकाला ।बेशक अल्लाह इंसाफ़ करने वालों को पसंद और मोहब्बत करता है।*_ 📚 सूरह मुमतहिन आयत 8 📚(क़ुरआन 60:8) *बुराई का बदला भी भलाई से दो ।* ------------------------------------ *अल्लाह ने कहा है:- 👇* *भलाई और बुराई दोनों बराबर नहीं, तुम जवाब में वो क

मां की खिदमत का सिला

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*माँ की खिदमत का सिला जरूर पढ़ें* *हज़रत ओवैस करनी की ऐसी दास्तान जिसे पढ़ने के बाद आंसू को रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा, मेरी आँखें तो अबभी नम हैं, #सुने* *हज़रत ओवैस करनी नबी ﷺ*की ज़ियारत नहीं कर सके लेकिन दिल में हसरत बहुत थी कि *नबी ﷺ* का दीदार कर लूं, मां थीं और उनकी खिदमत आपको *हुज़ूर ﷺ* के दीदार से रोके हुए थी, उधर *नबी ﷺ* यमन की तरफ़ रुख़ करके कहा करते थे कि मुझे यमन से  अपने दोस्त की खुशबू आ रही है, एक सहाबी रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा य़ां *ﷺ* आप उनसे इतनी मुहब्बत करते हैं, और वो हें कि आपसे से मिलने भी नहीं आए? तो प्यारे *आका ﷺ* ने कहा कि उनकी बूढी और नाबीना माँ है, जिसकी ओवैस बहुत खिदमत करता है, और अपनी मां को वह अकेला छोड़  कर नहीं आ सकता। प्यारे आका *ﷺ* ने उमर और हज़रत अली रज़ियल्लाहू से मुखातिब होते हुए कहा कि तुम्हारे दौर मे एक शख्स यहां आएगा जिसका नाम होगा ओवैस बिन आमिर कद दर्मियानी होगा, रंग होगा काला, और जिस्म पर एक सफेद दाग होगा, जब वह आए तो तुम दोनों उससे मेरी उम्मत के लिए दुआ कराना क्योंकि ओवैस ने माँ की ऐसी खिदमत की है जब भी वो दुआ के लिए हाथ उठाता है, तो अ

हदीस शरीफ़

                      *📕हदीस शरीफ़👇* हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया👇 जिस क़ौम में गुनाह होते हों और नेक लोग रोकने पर क़ादिर हों फिर भी ना रोकें तो क़रीब है के अल्लाह तआला सब पर अज़ाब भेजे, *📚 अबू दाऊद)* *📕हदीस शरीफ़👇* हज़रते सय्यिदुना मालिक बिन दीनार फ़रमाते हैं के👇 अल्लाह तआला ने फ़िरिश्तों को हुक्म फ़रमाया के फ़ुलां फ़ुलां गांव पर अज़ाब करो तो फ़िरिश्तों ने बड़ी आजिज़ी से इल्तिज़ा की, ऐ अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल इसमें फ़ुलां फ़ुलां तेरा नेक बंदा भी है, अल्लाह तआला ने फ़रमाया इसे अज़ाब दे कर मुझे इसकी चीख़ व पुकार सुनाओ क्योंके इसका चेहरा मेरी नाफ़रमानियों को देखकर कभी मुतग़य्यर नहीं हुआ, *📚 तम्बीहुल मुग़त्तरीन)* यानी जिस तरह कोई आदमी अपने अज़ीज़ या अक़ारिब से किसी काम को करने के लिए कहे और वो ना सुने अनसुनी करदे तो वो किस क़दर नाराज़ हो कर उसको डांटता है और लड़ने के लिए तैयार हो जाता है मगर अफ़सोस है के अल्लाह तआला की ना फ़रमानी करने वालो की ना इस्लाह करता है और ना उनसे नाराज़ होता है, तो ऐसे लोग इस हदीस शरीफ़ से सबक़ हासिल करें, ________________________

कब्र की तैयारी।

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* तसव्वुरे मौत का तरीका* # بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ हमारी दुन्यावी और उख़रवी ज़िन्दगी के दरमियान मौत की घाटी हाइल है ,जिस दिन हम ने येह घाटी उबूर कर ली कभी वापसी न होगी ।  लिहाज़ा मौत की इस पुर ख़तर घाटी को याद रखिये कि जिसे हर एक ने पार करना है और कभी भी गफ्लत इख़्तियार न कीजिये । कामयाब व अक्लमन्द वोही है जो दूसरों को मरता देख कर अपनी मौत याद करे और कब्रो आखिरत की तय्यारी कर ले ।  जैसा कि हजरते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मसऊद رَضَیَ اللّٰهُ تَعَالٰی عَنْه से मन्कूल है :-  *اَلسَّعِیدُ مَنْ وُعِظَ بِغَیرِهٖ*  या'नी सआदत मन्द वोह है जो दूसरों से नसीहत हासिल करे         याद रखिये ! गफ़्लत के साथ मौत को याद करने से येह सआदत हासिल नहीं होगी कि इस तरह तो इन्सान हमेशा जनाजे देखता ही रहता है और कभी अपने हाथों से भी उन्हें कब्र में उतारता है ।  तसव्वुरे मौत का बेहतर तरीका यह है कि कभी कभी तन्हाई में दिल को हर तरह के दुन्यावी ख़यालात से पाक कर के फिर पहले अपने उन दोस्तों और रिश्तेदारों को याद कीजिये जो

नमाज़ के मसाइल

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नमाज़ के मसाइल ⚡✨🌟  ▓━﷽━▓ 🌟✨⚡  ┏┅●◑● ┣━━━● *NAMAZ KE MASA'IL*   ┗┅●◑━━━● *posт ղo☞59* ┏───────────────────┯✿ │ *☞ Isha  Ke  Baad  Guftgu ( Baat Cheet ) Makrooh  Hai ✦* ┗───┯ ✿ ★  Huzur  Akram  Sallallahu  Alaihivasallam  ne  Isha  ki  Namaz  ke  baad Baat cheet  karne  se  mana  farmaya  he, → Albatta  3  soorto  me  isme  chhoot  he, 1- Ye  k  Aadmi  mehmaan  ki  dildari  ke  liye  usse  baat  cheet  kare, 2- Miya  Bivi  aapas  me  guftgu  kare, 3- Ye  k  kuchh  log  safar  me  ho  aur  raat  guzaarne  ke  liye  guftgu  kare, → Iske  alawa  isha  ke  baad  guftgu  karna  Makrooh  aur  Na  pasandida  he, ★ Musalmano  ke  Din  bhar  ke  Amaal  ka  khatma  nek  amal  per  hona  chahiye  aur  wo  isha  ki  Namaz  he, *↳® Aapke Masail aur unka Hal, 2/360* ⇨ Aaj  kal  Khaaskar  Nojawano  ka  Ye  Amal  ban  chuka  he  k  Raat  der  tak  idhar  udhar  ki baat  cheet  karne  me,  Ghoomne  firne  me  waqt  ko  barbaad  karte  he’n, “__Der  se  sone  ka  ye  bhi  asar  dekha  g

हदीस मुबारक

*👆  हदीस मुबारक *नजात दिलाने वाले आ'माल पोस्ट-37* بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ *( ह़दीसे मुबारका )*  *मुजाहदए नफ़्स करने वाले सहा़बी*  ह़ज़रते सय्यिदुना तलहा رَضِیَ اللّٰهُ تَعَالٰی عَنْه फ़रमाते हैं कि एक दिन एक शख़्स ज़ाइद कपड़े उतार कर बाहर निकला और गर्म रेत पर खूब लोट कर खुद को मुखातब कर के कहने लगा :-  “ऐ रात के मुर्दार और दिन के बेकार ! येह जा़एका चख ,क्यूंकि जहन्नम की आग इस से भी ज़्यादा गर्म है ।"  इस दौरान अचानक उस की निगाह हु़जू़रे अकरम ,नूरे मुजस्सम ﷺ की जानिब गई कि आप ﷺ एक दरख्त के साए में तशरीफ़ फ़रमा हैं । वोह ख़िदमते अक़्दस में हा़ज़िर हो कर अ़र्ज़ गुज़ार हुवा :- “मेरा नफ्स मुझ पर गालिब हो गया है ।"         रसूले अकरम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया :- "सुनो ! तुम्हारे लिये आस्मानी दरवाजे़ खोल दिये गए हैं ,अल्लाह عَزَّوَجَلَّ फ़िरिश्तों के सामने तुम पर फ़न फरमा रहा है।"  फिर आप ﷺ ने सहा़बए किराम  عَلَیْھِمُ الرِِّضْوَان से इरशाद फ़रमाया :- "अपने भाई से तोशए आखिरत लो ।"     एक

मजार शरीफ पर जाना कैसा।

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_*========== _*=============================*_               * _सुन्नी और मज़ार_*    *______________________________________* _किसी की क़ब्र पर इमारत बना देना ही मज़ार कहलाता है,अल्लाह के मुक़द्दस बन्दों की मज़ार बनाना और उनसे मदद लेना जायज़ है,पढ़िये_ *_👇मज़ार बनाना👇_* _(1) तो बोले उनकी ग़ार पर इमारत बनाओ उनका रब उन्हें खूब जानता है वह बोले जो इस काम मे ग़ालिब रहे थे कसम है कि हम तो उन पर मस्जिद बनायेंगे_ *_📕 पारा 15,सूरह कहफ,आयत 21_* *_👇तफसीर👇_* _असहाबे कहफ 7 मर्द मोमिन हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की उम्मत के लोग थे बादशाह दक़्यानूस के ज़ुल्म से तंग आकर ये एक ग़ार मे छिप गये जहां ये 300 साल तक सोते रहे 300 साल के बाद जब ये सोकर उठे और खाने की तलाश मे बाहर निकले तो उनके पास पुराने सिक्के देखकर दुकानदारो ने उन्हे सिपाहियों को दे दिया उस वक़्त का बादशाह बैदरूस नेक और मोमिन था जब उस को ये खबर मिली तो वो उनके साथ ग़ार तक गया और बाकी तमाम लोगो से भी मिला असहाबे कहफ सबसे मिलकर फिर उसी ग़ार मे सो गये जहां वो आज तक सो रहें हैं हर साल दसवीं मुहर्रम को करवट बदलते हैं हज़रत इमाम मेंहदी रज

नमाज़ पढ़ने का तरीका।

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नमाज का तरीका;- नियत :- नियत की मैने दो रकात नमाज सुन्नत वकत फजर का, वास्ते अल्लाह ताला के लिए रुख मेरा काबा शरीफ कि तरफ- अल्लाहु अकबर । (पहली दो रकअत सुन्नत की नीयत है) दो रकअत फ़र्ज़ की नीयत:- मैं नीयत करता हूँ दो रकाअत नमाज़ फ़र्ज़ वक़्त फ़्ज़र पीछे इस इमाम के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर (अगर इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ें तब ही बोले पीछे इस इमाम के) (पहली रकाअत) सना :- सुबहाना कल्ला हुम्मा वाबैहमदेका वा ताबारा कसमोका वा तआला जददो का वा लाईलाह गैरूका । आऊजु बिल्लाहि मिनश शेतानिर्रजीम । बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम अलहमदु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, अर्रहमानिर्रहीम मालिकी यवमिद्दीन, इय्याका नअबुदू वइय्याका नसताइन,इहदि नस्सिरातल मुस्तकीम, सिरातल लजीना अन अमता अलेयहिम गयरिल मगदुबि अलयहिम वलदद्वाल्लीन ।(आमीन) बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम कुल याअय्युहल काफिरुना लाआबुदूमातअबुदून, वला अन्तुम आबिदुना माआबुद, वला आना आबिदुम मा आबत्तुम, वला अन्तुम आबिदुना मा आबुद लकूम दीनुकूम वलियदिन. ( अल्लाहु अक्बर ) RUKO ME  सुब्हाना रब्बीयल अजिम ।→3,5,7 (रुकू के बाद सीधा खड़े होकर पढ़े) समिअल्लाहु लिमन हमिदह

अल्लाह सबसे बड़ा है।

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अल्लाह सबसे बड़ा है। *फत्हे मक्का की पेश गोई*  # 1 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ       हिजरत के वक्त इन्तिहाई रन्जीदगी के आलम में हुजूर ताजदारे आलम ﷺ ने अपने यारे गार सिद्दीके जां निषार رضی ﷲ تعالٰی عنه को साथ ले कर रात की तारीकी में मक्का से हिजरत फ़रमा कर अपने वतने अजीज़ को खैरबाद कह दिया था और मक्का से निकलते वक्त खुदा के मुक़द्दस घर खानए का'बा पर एक हसरत भरी निगाह डाल कर येह फ़रमाते हुवे मदीने रवाना हुवे थे कि _"ऐ मक्का ! खुदा की कसम ! तू मेरी निगाहे महब्बत में तमाम दुन्या के शहरों से ज़ियादा प्यारा है। अगर मेरी क़ौम मुझे न निकालती तो मैं हरगिज़ तुझे न छोड़ता।"_       उस वक्त किसी को येह खयाल भी नहीं हो सकता था कि मक्का को इस बे सरोसामानी के आलम में खैरबाद कहने वाला सिर्फ आठ ही बरस बाद एक फ़ातेहे आजम की शानो शौकत के साथ इसी शहर मक्का में नजूले इजलाल फ़रमाएगा और का'बतुल्लाह में दाखिल हो कर अपने सजदों के जमाल व जलाल से खुदा के मुक़दस घर की अज़मत को सरफ़राज़ फ़रमाएगा। लेकिन हुवा येह

रिवायत

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🍁अबू हुरैराह रज़िअल्लाहु अ़न्हु से रिवायत है कि “अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया ❝औ़रत से चार चीज़ों की बुनियाद पर निकाह़ किया जाता है । उसके माल, उसके ख़ानदान, उसकी खूबसूरती और उसके दीन की बुनियाद पर लिहाज़ा तू *दीनदार* को अपने लिए इख़्तियार कर के कामियाब हो जा, तेरे हाथ ख़ाक आलूद हों।❞ 📕 बुख़ारी: अन्ऩिक़ाह 5090 📕 मुस्लिम: अर रिज़ाअ़ 2661 😔मगर अफसोस का मकाम है आज आज अगर निकाह किया जाता है तो मालदार घर देखा जाता है, दौलत देखी जाती है, खूबसूरती देखी जाती है, सूरत देखी जाती है, सीरत फिर चाहे कैसी भी हो और सिर्फ बिरादरी में ही निकाह किया जाता है। दीनदारी का तो दूर दूर तक ताल्लुक नही, अगर दीनदार फिर किसी भी कास्ट बिरादरी में हो इससे बेहतर कुछ नही हो सकता।।। लिखने को तो बहुत कुछ है....... Md Ramzan

ya Hussain

                    मनकब्त हुसैन किस  जबान से हो बयान रुतबा हुसैन पाक का मलिके ए कोनेन  है नाना हुसैन पाक का नन्ना नन्ना प्यारा प्यारा और फकत   6 माह का सर कटाने आ गया बेटा हुसैन पाक का की कट रहे हैं दोनों बाजू हजरत अब्बास के फिर भी है ऊंचा सदा झंडा हुसैन पाक का रोजे महसर  नानाजा से बक्सवाएंगे उसे जो लगाएगा यहां नारा हुसैन ए पाक का कुल जहा के सारे सजदो पर जी हां भारी है ये कर्बला की रेत पर सजदा हुसैन पाक का किस जबा से हो बाया रुतबा हुसैन पाक का मालीके कौनेन है नाना हुसैन पाक

New nat

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new Islamic nat sareef                    नात शरीफ दाई हलीमा बोली लेकर यह बलिया चम चम चमके है बदन जैसे नूर की किरण मोहे लागी है लगन जरा देखने दो, देखन दो करके हिजरत गारे  सौर में पहुंचे जब सरकार हो साथ में थे सिद्दीके के अकबर जैसे तावेदार हो सांप का एक मुद्दत से वहां पर तालिब ए दीदार हो सोए हुए थे जहां अरबी सांवरिया सांप मारे हुए फन बोले नबी का बदन मोहे देखने दो , देखन दो अर्से    बरी पर पहुंचे नबी जी बनकर के मेहमान हो सारे पयंबर रुके वहीं पर होने लगे कुर्बान हो हुरो मलायक सब ने कहा ये आपके सदके जान हो ये ही तो है मोरे अरबी सांवरिया, इं है नबी जी हमार जो है रफ रफ सवार मोहे देख आने दो ,देख आने दो करने कतल चले थे उमर और हाथ में थी तलवार हो खोला दरवाजा आए उमर के सामने जब सरकार हो बोले उमर या शाहे दो आलम आप पर जान निसार हो कलमा पढ़ा दो मोहे अरबी सांवरिया मेरे प्यारे मुस्तफा हक जलवा ए खुदा मोहे देखने दो ,देखने दो