अल्लाह सबसे बड़ा है।

अल्लाह सबसे बड़ा है।
*फत्हे मक्का की पेश गोई*  # 1
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
      हिजरत के वक्त इन्तिहाई रन्जीदगी के आलम में हुजूर ताजदारे आलम ﷺ ने अपने यारे गार सिद्दीके जां निषार رضی ﷲ تعالٰی عنه को साथ ले कर रात की तारीकी में मक्का से हिजरत फ़रमा कर अपने वतने अजीज़ को खैरबाद कह दिया था और मक्का से निकलते वक्त खुदा के मुक़द्दस घर खानए का'बा पर एक हसरत भरी निगाह डाल कर येह फ़रमाते हुवे मदीने रवाना हुवे थे कि _"ऐ मक्का ! खुदा की कसम ! तू मेरी निगाहे महब्बत में तमाम दुन्या के शहरों से ज़ियादा प्यारा है। अगर मेरी क़ौम मुझे न निकालती तो मैं हरगिज़ तुझे न छोड़ता।"_
      उस वक्त किसी को येह खयाल भी नहीं हो सकता था कि मक्का को इस बे सरोसामानी के आलम में खैरबाद कहने वाला सिर्फ आठ ही बरस बाद एक फ़ातेहे आजम की शानो शौकत के साथ इसी शहर मक्का में नजूले इजलाल फ़रमाएगा और का'बतुल्लाह में दाखिल हो कर अपने सजदों के जमाल व जलाल से खुदा के मुक़दस घर की अज़मत को सरफ़राज़ फ़रमाएगा। लेकिन हुवा येह कि अहले मक्का ने सुल्हे हुदैबिय्या के मुआहदे को तोड़ डाला। और सुल्ह नामे से गद्दारी कर के "अहद शिकनी" के मुर्तकिब हो गए कि हुजूर ﷺ के हलीफ़ बनू खुजाआ को मक्का वालों ने बे दर्दी के साथ क़त्ल कर दिया। बेचारे बनू खुजाआ उस ज़ालिमाना हम्ले की ताब न ला कर हरमे का'बा में पनाह लेने के लिये भागे तो इन दरिन्दा सिफत इन्सानों ने हरमे इलाही के एहतिराम को भी खाक में मिला दिया और हरमे का'बा में भी ज़ालिमाना तौर पर बनू खुज़ाआ का खून बहाया। इस हम्ले में बनू खज़ाआ के तेईस आदमी क़त्ल हो गए। इस तरह अहले मक्का ने अपनी इस हरकत से हुदैबिय्या के मुआहदे को तोड़ डाला। और येही फ़ल्हे मक्का की तम्हीद हुई।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*_✍अजाइबुल क़ुरआन_*  पेज 227
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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