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Showing posts from February 2, 2020

खिलाफते आदम अैहिस्सलाम पार्ट 3

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*खिलाफते आदम (عَلَيْهِمُ السَّلاَم)* #3 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ इस पूरे मज़मून को कुरआने मजीद ने अपने मो'जिज़ाना तर्जे बयान में इस तरह ज़िक्र फ़रमाया है : *तर्जमए कन्जुल ईमान* : _और याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़िरिश्तों से फ़रमाया मैं ज़मीन में अपना नाइब बनाने वाला हूं। बोले : क्या ऐसे को नाइब करेगा जो इस में फ़साद फेलाए और खून रैज़ियां करे और हम तुझे सराहते हुवे तेरी तस्बीह करते और तेरी पाकी बोलते हैं। फ़रमाया : मुझे मालूम है जो तुम नहीं जानते और अल्लाह तआला ने आदम को तमाम अश्या के नाम सिखाए फिर सब अश्या मलाइका पर पेश कर के फ़रमाया सच्चे हो तो इन के नाम तो बताओ, बोले पाकी है तुझे हमें कुछ इल्म नहीं मगर जितना तू ने हमें सिखाया। बेशक तू ही इल्मो हिक्मत वाला है। फ़रमाया : ऐ आदम बता दे इन्हें सब अश्या के नाम। जब आदम ने उन्हें सब के नाम बता दिये, फरमाया मैं न कहता था कि मैं जानता हूं आस्मानों और ज़मीन की सब छुपी चीजें और मैं जानता हूं जो कुछ तुम ज़ाहिर करते और जो कुछ तुम छुपाते हो और याद करो जब हम

जब अल्लाह ने आदम अलेहसलाम को सजदा करने को कहा part 2

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*खिलाफते आदम (عَلَيْهِمُ السَّلاَم)* #2 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ      इस के बाद अल्लाह तआला ने हज़रते आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم को पैदा फ़रमा कर तमाम छोटी बड़ी चीजों का इल्म उन को अता फरमा दिया इस के बाद फिर अल्लाह तआला और मलाइका का हस्बे जेल मुकालमा हुवा।  *अल्लाह तआला* : ऐ फिरिश्तो ! अगर तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि तुम से अफ़्ज़ल कोई दूसरी मख्लूक नहीं हो सकती तो तुम तमाम उन चीज़ों के नाम बताओ जिन को मैं ने तुम्हारे पेशे नज़र कर दिया है। *मलाइका* : ऐ अल्लाह तआला ! तू हर नक्स व ऐब से पाक है हमें तो बस इतना ही इल्म है जो तू ने हमें अता फ़रमा दिया है इस के सिवा हमें और किसी चीज़ का कोई इल्म नहीं है हम बिल यक़ीन येह जानते हैं और मानते हैं कि बिला शुबा इल्मो हिक्मत का ख़ालिको मालिक तो सिर्फ तू ही है।         फिर अल्लाह तआला ने हज़रते आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم को मुखातब फ़रमा कर इरशाद फ़रमाया कि ऐ आदम तुम इन फ़िरिश्तों को तमाम चीजों के नाम बताओ। तो हजरते आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم ने तमाम अश्या के नाम

आदम अलहिस्सलाम को जब अल्लाह ने पैदा किया part 1

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*खिलाफते आदम (عَلَيْهِمُ السَّلاَم)* #1 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ       हज़रते आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم का लकब "खलीफ़तुल्लाह" है। जब अल्लाह तआला ने हज़रते आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم को अपनी ख़िलाफ़त से सरफ़राज़ फ़रमाने का इरादा फ़रमाया तो इस सिलसिले में अल्लाह तआला और फ़िरिश्तों में जो मुकालमा हुवा वोह बहुत ही तअज्जुब खैज़ होने के साथ साथ निहायत ही फ़िक्र अंगेज़ व इब्रत आमोज़ भी है, जो हस्बे जैल है : *अल्लाह तआला* : "ऐ फ़िरिश्तो ! मैं ज़मीन में अपना ख़लीफ़ा बनाने वाला हूं जो मेरा नाइब बन कर ज़मीन में मेरे अहकाम को नाफ़िज़ करेगा। *मलाइका* : ऐ बारी तआला ! क्या तू ज़मीन में ऐसे शख्स को अपनी खिलाफ़त व नियाबत के शरफ़ से सरफ़राज़ फ़रमाएगा जो ज़मीन में फ़साद बरपा करेगा और कत्लो गारतगिरी से खूरैज़ी का बाजार गर्म करेगा ? ऐ खुदावन्दे तआला ! इस शख्स से ज़ियादा तेरी खिलाफत के हक़दार तो हम मलाइका की जमाअत है, क्यूंकि हम मलाइका न जमीन में फ़साद फेलाएंगे, न खूरैज़ी करेंगे बल्कि हम तेरी हम्दो षना के स

कब्रिस्तान में अहले कब्र से सलाम करना ।

*बादे वफ़ात मक़बूलाने बारगाह को पुकार सकते हैं?* 01 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ *सवाल* : क्या बादे वफ़ात भी मक्बूलाने बारगाह को लफ्जे "या" के साथ पुकार सकते हैं ? *जवाब* : जी हां । बादे वफ़ात भी मक्बूलाने बारगाह को लफ़्जे "या" के साथ पुकार सकते हैं इस में कोई मुज़ायका नहीं। अल्लाह के मक़बूल बन्दों की शान तो बहुत बुलन्दो बाला है, आम मुर्दो को भी बादे वफ़ात लफ़्जे "या" के साथ पुकारा जाता है और वोह सुनते हैं जैसा कि हदीसे पाक में है : हुजूरे अकरम ﷺ जब मदीनए मुनव्वरह के कब्रिस्तान में तशरीफ़ ले जाते तो कब्रों की तरफ़ अपना रुखे अन्वर कर के यूं फ़रमाते اَلسَّلَامُ عَلَيْكُمْ يَااَهْلَ الْقُبُوْرِ، يَغْفِرُ اللّٰهُ لَنَا وَلَكُمْ، اَنْتُمْ سَلَفُنَا وَنَحْنُ بِلْاَثَرِ यानी ऐ कब्र वालो ! तुम पर सलाम हो अल्लाह हमारी और तुम्हारी मरिफरत फ़रमाए, तुम लोग हम से पहले चले गए और हम तुम्हारे बाद आने वाले हैं। *✍️ترمذي*      इस हदीसे पाक में बादे वफ़ात अहले कुबूर को लफ़्जे "या"