ख़िलाफते आदम Part 5
*खिलाफते आदम (عَلَيْهِمُ السَّلاَم)* #5 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ *दर्से हिदायत*: (3) अल्लाह तआला ने हज़रते आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم को तमाम अश्या के नामों, और उन की हिक्मतों का इल्म ब ज़रीअए इल्हाम एक लम्हे में अता फरमा दिया। इस से मालूम हुवा कि इल्म का हुसूल किताबों के सबक़न सबक़न पढ़ने ही पर मौकूफ नहीं है बल्कि अल्लाह तआला जिस बन्दे पर अपना फ़ज़्ल फ़रमा दे उस को बिगैर सबक़ पढ़ने और बिगैर किसी किताब के ब ज़रीअए इल्हाम चन्द लम्हों में इल्म हासिल करा देता है और बिगैर तहसीले इल्म के उस का सीना इल्मो इरफ़ान का खजीना बन जाया करता है। चुनान्चे, बहुत से औलियाए किराम के बारे में मो'तबर रिवायात से षाबित है कि उन्हों ने कभी किसी मद्रसे में कदम नहीं रखा । न किसी उस्ताद के सामने जानूए तलम्मुज़ किया न कभी किसी किताब को हाथ लगाया, मगर शैखे कामिल की बातिनी तवज्जोह और फज्ले रब्बी की बदौलत चन्द मिनटों बल्कि चन्द सेकन्डों में इल्हाम के ज़रीए वोह तमाम उलूम व मआरिफ़ के जामेए कमालात बन गए और । बुजुर्गों