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नमाज़ पढ़ने का तरीका

नमाज़ पढ़ने का तरीका।

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नमाज का तरीका;- नियत :- नियत की मैने दो रकात नमाज सुन्नत वकत फजर का, वास्ते अल्लाह ताला के लिए रुख मेरा काबा शरीफ कि तरफ- अल्लाहु अकबर । (पहली दो रकअत सुन्नत की नीयत है) दो रकअत फ़र्ज़ की नीयत:- मैं नीयत करता हूँ दो रकाअत नमाज़ फ़र्ज़ वक़्त फ़्ज़र पीछे इस इमाम के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर (अगर इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ें तब ही बोले पीछे इस इमाम के) (पहली रकाअत) सना :- सुबहाना कल्ला हुम्मा वाबैहमदेका वा ताबारा कसमोका वा तआला जददो का वा लाईलाह गैरूका । आऊजु बिल्लाहि मिनश शेतानिर्रजीम । बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम अलहमदु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, अर्रहमानिर्रहीम मालिकी यवमिद्दीन, इय्याका नअबुदू वइय्याका नसताइन,इहदि नस्सिरातल मुस्तकीम, सिरातल लजीना अन अमता अलेयहिम गयरिल मगदुबि अलयहिम वलदद्वाल्लीन ।(आमीन) बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम कुल याअय्युहल काफिरुना लाआबुदूमातअबुदून, वला अन्तुम आबिदुना माआबुद, वला आना आबिदुम मा आबत्तुम, वला अन्तुम आबिदुना मा आबुद लकूम दीनुकूम वलियदिन. ( अल्लाहु अक्बर ) RUKO ME  सुब्हाना रब्बीयल अजिम ।→3,5,7 (रुकू के बाद सीधा खड़े होकर पढ़े) समिअल्लाहु लिमन हमिदह

sayriya

जिनको गुर्बत की वजह से हम शादियों में नहीं बुलाते. वही सबसे पहले हमारे जनाज़े में शरीक होते हैं...!! अल्लाह का ह़ुक्म था कि 'नफ़्स' को मारना लोगों ने "ज़मीर" को ही मार दिया😢 *_अपनी सारी मुश्किलें_*  *_मुश्किल कुशा पे छोड़ दे_* *_फैसला जो होगा हक़_*  *_वो तू खुदा पर छोड़ दे_* *_दास्ताँ इस्लाम की_*  *_तुझसे अगर पूछे कोई_* *_बात मदीने से उठा_*  *_और करबला पे छोड़ दे_*.. khwaja ji ka DIWANA MASTANA

नमाज के दौरान जमाई लेना कैसा है?

🔶 *मस्अला* 🔶 *🔹 नमाज़ मे जानबूझ कर जमाही लेना मकरूहे तहरीमी है और अगर खुद आए तो हर्ज नही, मगर रोकना मुस्तहब है,* *रोके इस तरह के होंठों (Lips) को दांतों के नीचे दबाए और ना रुके तो हाथ मुंह पर रखे।* 🔹 📙(बहारे-शरीअत, जिल्द 1, हिस्सा 3)📙 ```طلب العلم فريضة على كل مسلم ومسلمه https://youtu.be/zdIJiyTa5mQ ajmer Sareeef dargah jiyarat

ख्वाजा जी का दीवाना मस्ताना

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***ख्वाजा मॊईनुद्दिन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह का मकाम*** *****शान-ए-ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलेह*****https://www.youtube.com/channel/UCESCCiogHNhmV9xIvA06RDA/ ख्वाजा गरीब नवाज़ के पिरो मुर्शिद हज़रत ख्वाजा ऊसमान हारुनी रहमतुल्लाह अलैह अपने मुरीदो और ख्वाजा गरीब नवाज़ को लेकर कही जा रहे थे कि ख्वाजा उसमान हारुनी रहमतुल्लाह अलैह को एक वीरान बुतखाना नज़र आया तो आपने ख्वाजा गरीब नवाज़ और दिगर मुरीदो से फरमाया कि तुम लोग जब तक मे ना बोलू कही मत जाना यही खङे रहना मै इस बुतखाने मे से आता हु और इतना कह कर आप उस बुत खाने मे जाकर अल्लाह कि ईबादत मे लग गए और इस तरह चालीस दिन गुज़र गए ,,,,,ईधर आपके तमाम मुरीदिन चले गये सिर्फ ख्वाजा गरीब नवाज़ रह गये और अपने पिरो मुर्शिद कि हुक्म कि फरमा बरदारी कि जब चालीस दिन बाद आप बुतखाने से बाहर आए और ख्वाजा गरीब नवाज़ से पुछा के सारे मुरीदिन कहाँ गये तो जवाब दिया वो सब चले गये ,,,,आपने कहाँ तुम क्यो नही गए तो ख्वाजा गरीब नवाज़ ने कहाँ आपने हुक्म दिया था कि जब तक मै ना बोलू मत जाना इसलिये मे कही नही गया सिर्फ रफे हाजत के सिवा ,,,,आप

आयतल कुर्सी के फायदे

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https://amzn.to/3jSGYJX एक दिन हमारे नबी ए पाक मसजिदे नबवी मे जोहर कि नमाज का वुजु बना रहे थे.. इतने मैंएक सहाबी हजरते सलमान फारसी.(r) रोते हुए आये. हमारे नबी ने फरमाया ऎ सलमान रोते क्यो हो ..सलमान फारसी (r) ने फरमाया ए मेरे नबी मेरा एक जवान बेटा है जो बहुत बीमार है मुझे डर है कि मै नमाज पढ के घर जाऊँ और कहीँ मेरा बेटा अल्लाह को प्यारा न हो जाए..इसिलिये मै रो रहा हुँ.सलमान फारसी  (r) की बात सुनकर हमारे नबी ने फरमाया ऎ सलमान एक पानी का भरा हुवा प्याला लाओ..अब आयतुल कुर्सी मै भी पढता हुँ .. और तुम भी पढो .. फिर इस पानी मे फूंक मारो..लिहाजा पानी मे फूंक मारनेके बाद हमारे नबी ने वो प्याला सलमान फारसी   (r) को देकर फरमाया सलमान घर जाओ ओर ये पानी अपने बेटे को पीला दो.सलमान फारसी   (r) घर गये ओर बाहर से ही पानी का प्याला घरवालोँ को देकर नमाज पढने की फिक्र मे वापस मसजिदे नबवी आये..उनको फिक्र ये थी कि कहीँ मेरी नमाज छुट न जाए ..नमाज के बाद हमारे नबी ने जैसे ही सलाम फेरा ..अभी दुआ बाकी थी.. सलमान फारसी    (r) फौरन अपने बेटे की फिक्र मे खडे हो कर जाने लगे..कुछ कदम आगे चलने के बाद सलमा

कल मज़हब पूछकर जिसने बख्श दी थी जान मेरी...**आज फिरका पूछकर उसने ही ले ली जान मेरी!*

https://amzn.to/3jSGYJX *"अल्लामा इकबाल"*    *ने तकरीबन 80 साल पहले लीखी ये बात कितनी सच है.......* *कल मज़हब पूछकर जिसने बख्श दी थी जान मेरी...* *आज फिरका पूछकर उसने ही ले ली जान मेरी!* *मत करो रफादेन पर इतनी बहस मुसलमानों...* *नमाज़ तो उनकी भी हो जाती है जिनके हाथ नही होते!* *तुम हाथ बाँधने और हाथ छोड़ने पर बहस में लगे हो...* *और दुश्मन तुम्हारे हाथ काटने की साजिश में लगे हैं!* *ज़िन्दगी के फरेब में हम ने हज़ारों सज्दे क़ज़ा कर डाले...* *हमारे जन्नत के सरदार ने तो तीरों की बरसात में भी नमाज़ क़ज़ा नही की!*  *सजदा-ए-इश्क़ हो तो "इबादत" मे "मज़ा" आता है...* *खाली "सजदों" में तो दुनियां ही बसा करती है!* *लोग कहते हैं के बस "फर्ज़" अदा करना है.....* *एैसा लगता है कोई "क़र्ज़" लिया हो रब से!* *तेरे "सजदे" कहीं तुझे "काफ़िर ना कर दें...* *तू झुकता कहीं और है और "सोचता" कहीं और है!* *कोई जन्नत का तालिब है तो कोई ग़म से परेशान है...* *"ज़रूरत" सज्दा करवाती है "इबादत" कौन करता है!* *क्या हु

ख़िलाफते आदम Part 5

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*खिलाफते आदम (عَلَيْهِمُ السَّلاَم)* #5 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ *दर्से हिदायत*:  (3) अल्लाह तआला ने हज़रते आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم को तमाम अश्या के नामों, और उन की हिक्मतों का इल्म ब ज़रीअए इल्हाम एक लम्हे में अता फरमा दिया। इस से मालूम हुवा कि इल्म का हुसूल किताबों के सबक़न सबक़न पढ़ने ही पर मौकूफ नहीं है बल्कि अल्लाह तआला जिस बन्दे पर अपना फ़ज़्ल फ़रमा दे उस को बिगैर सबक़ पढ़ने और बिगैर किसी किताब के ब ज़रीअए इल्हाम चन्द लम्हों में इल्म हासिल करा देता है और बिगैर तहसीले इल्म के उस का सीना इल्मो इरफ़ान का खजीना बन जाया करता है।         चुनान्चे, बहुत से औलियाए किराम के बारे में मो'तबर रिवायात से षाबित है कि उन्हों ने कभी किसी मद्रसे में कदम नहीं रखा । न किसी उस्ताद के सामने जानूए तलम्मुज़ किया न कभी किसी किताब को हाथ लगाया, मगर शैखे कामिल की बातिनी तवज्जोह और फज्ले रब्बी की बदौलत चन्द मिनटों बल्कि चन्द सेकन्डों में इल्हाम के ज़रीए वोह तमाम उलूम व मआरिफ़ के जामेए कमालात बन गए और । बुजुर्गों

खिलाफते आदम (عَلَيْهِمُ السَّلاَم)* part 4

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*खिलाफते आदम (عَلَيْهِمُ السَّلاَم)* #4 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ *दर्से हिदायत*:        इन आयाते करीमा से मुन्दरिजए जैल हिदायत के अस्बाक़ मिलते हैं।  ( 1 ) अल्लाह तआला की शान है। या'नी वोह जो चाहता है करता है न कोई उस के इरादे में दखल अन्दाज़ हो सकता है न किसी की मजाल है कि उस के किसी काम में चूनो चरा कर सके। मगर इस के बा वुजूद हज़रते आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم की तख्लीक व खिलाफ़त के बारे में खुदावन्दे कुद्दुस ने मलाइका की जमाअत से मश्वरा फ़रमाया। इस में येह हिदायत का सबक़ है कि बारी तआला जो सब से ज़ियादा इल्म व कुदरत वाला है और फ़ाइले मुख्तार है जब वोह अपने मलाइका से मश्वरा फ़रमाता है तो बन्दे जिन का इल्म और इक्तिदार व इख्तियार बहुत ही कम है तो उन्हें भी चाहिये कि वोह जिस किसी काम का इरादा करें तो अपने मुख़्लिस दोस्तों, और साहिबाने अक्ल हमदर्दो से अपने काम के बारे में मश्वरा कर लिया करें कि येह अल्लाह तआला कि सुन्नत और उस का मुक़द्दस दस्तूर है।  (2) फ़िरिश्तों ने हज़रते आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم