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Showing posts from January 12, 2020

अजीजी ना करने के नुकसान

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*नजात दिलाने वाले आ'माल  بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ  *( 3 )* _आजिज़ी न करने के नुक्सानात पर गौर कीजिये :-_ हज़रते सय्यिदुना कतादा رَحْمَةُاللّٰهِ تَعَالٰی عَلَیْه फ़रमाते हैं :- _“जिस शख्स को माल ,जमाल ,लिबास या इल्म दिया गया फिर उस ने उस में आजिज़ी इख्तियार न की तो येह ने'मतें कियामत के दिन उस के लिये वबाल होंगी ।_     हज़रते सय्यिदुना का'बुल अहबार عَلَیْهِ رَحمَةُاللّٰهِ الْغَفَّار फ़रमाते हैं :- _“जो बन्दा अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की ने'मत पर शुक्र अदा न करे और न ही आजिज़ी करे तो अल्लाह عَزَّوَجَلَّ उस बन्दे से उस का दुन्यवी नफ्अ भी रोक देता है और उस के लिये जहन्नम का एक तबका खोल देता है ,अब अल्लाह عَزَّوَجَلَّ चाहे तो उसे अजाब दे और चाहे तो मुआफ़ कर दे ।_ हज़रते सय्यिदुना ज़ियाद नुमैरी عَلَیْهِ رَحمَةُاللّٰهِ الْوَلِی फ़रमाते हैं :- _“जोड्दो तक्वा अपनाने वाला आजिज़ी के बिगैर बे फल दरख़्त की तरह है ।"_ *( 4 )* _तकब्बुर की अलामात से खुद को बचाइये:-_ कि इस तरह खुद ब खुद आजिज़ी पैदा

आज अमल का मौका है।

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*_आज अमल का मौका है_* بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ अमीरुल मोअमिनीन हज़रते सय्यिदुना अलिय्युल मुर्तजा शेरे खुदा کَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰی وَجْھَهُ الْکَرِیْم ने एक मरतबा कूफ़ा में खुतबा देते हुवे इरशाद फ़रमाया : - _ऐ लोगो ! बेशक तुम्हारे बारे में मुझे सब से ज़ियादा इस बात का खौफ़ है कि कहीं तुम लम्बी लम्बी उम्मीदें न बांध बैठो और ख्वाहिशात की पैरवी में न लग जाओ ।_ *_याद रखो !_* _लम्बी उम्मीदें आख़िरत को भुला देती हैं और ख़बरदार ! नफ़्सानी ख्वाहिशात की पैरवी राहे हक़ से भटका देती है । ख़बरदार ! दुन्या अनकरीब पीठ फेरने वाली और आख़िरत जल्द आने वाली है । आज अमल का दिन है ,हिसाब का नहीं और कल हिसाब का दिन होगा ,अमल का नहीं ।_  *_एक दिन मरना है आख़िर मौत है..!_*  *_कर ले जो करना है आखिर मौत है.!!_* _✍🏼बाकी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله_ *_📓 मौत का तसव्वुर-36_* ●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•● मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,  गर होजाए यक़ीन के..... *अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

कब्र पर अज़ान देना ?

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* अज़ाने क़ब्र यानी कब्र पर अज़ान का मसअला* कुछ लोगों को सिवाये ऐतराज़ करने के और कोई काम नहीं रह गया है ऐसे लोग अगर पैदा होते ही बोल पाते तो अपने मां बाप पर भी ऐतराज़ कर देते कि हमको पैदा क्यों कर दिया इन जैसे लोगों की अक़्ल पर इस क़दर पत्थर पड़ गए हैं कि इन्हें ना तो क़ुर्आन की आयतें दिखाई देती हैं और ना ही हदीसे मुबारका और हमेशा बस एक ही रोना ये शिर्क है ये बिदअत है ये हराम है अब इनको कौन समझाये कि ये भी तो क़ुरूने सलासा में ना थे तो इनका पैदा होना भी तो बिदअत ही हुआ, खैर बात को आगे बढ़ाने से पहले किसी काम के जाइज़ होने की दलील क्या है ये समझ लीजिये, जिस काम को हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने किया वो जाइज़, जिस काम को हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने कहा वो जाइज़, जिस काम को लोगों को करता देखकर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने मना ना किया हो वो भी जाइज़, *_चलिये अब अज़ाने क़ब्र पर दलील मुलाहज़ा करें_* 1. अपने मुर्दों को लाइलाहा इल्लल्लाह सिखाओ, 📚 अबू दाऊद, जिल्द 2, सफह 522, अब मुर्दों को कल्मा सिखाने का क्या मतलब ज़ाहिर सी बात है कि मुर्

खड़े होकर पेशाब करना कैसा?

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mohramzan2019@gmail.com *⭐खड़े होकर पेशाब करना मकरूह है और नसारा का तरीक़ा है🌸।* *📖अल हदीस-::* रसूलुल्ला सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं बेअदबी व बद-तहज़ीबी है यह कि आदमी खड़े होकर पेशाब करे। बाज़ लोग खड़े होकर पेशाब करने को फ़ख़्र महसूस करते और उस में कुछ हर्ज नहीं समझते हैं, शरीअते इस्लामिया की रौशनी में खड़े होकर पेशाब करने में हर्ज हैं। *अव्वल 1-::* बदन और कपड़ों पर छींटें पड़ना, जिस्म व लिबास बिला ज़रूरते शरईया नापाक करना, और यह हराम है। *दोम 2-::* इन छींटों के बाइस अज़ाबे क़ब्र का इस्तेहक़ाक़ अपने सर पर लेना । *📖अल हदीस::-*  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं पेशाब से बहुत बचो का अक्सर अज़ाबे क़ब्र इसी से है। *📖एक हदीस में है::-*  💫रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने दो शख़्सों पर अज़ाबे क़ब्र होते देखा फ़रमाया कि एक अपने पेशाब से आड़ न करता था, और दूसरा चुग़ल-ख़ोरी करता। *सोम 3-::* रह गुज़र पर हो या जहाँ लोग मौजूद हों तो बाइस बेपर्दगी होगा, बैठने वालों में रानों, ज़ानूवों की आड़ हो जाती है और खड़े होने में ब