अजीजी ना करने के नुकसान

*नजात दिलाने वाले आ'माल 
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ 
*( 3 )* _आजिज़ी न करने के नुक्सानात पर गौर कीजिये :-_ हज़रते सय्यिदुना कतादा رَحْمَةُاللّٰهِ تَعَالٰی عَلَیْه फ़रमाते हैं :- _“जिस शख्स को माल ,जमाल ,लिबास या इल्म दिया गया फिर उस ने उस में आजिज़ी इख्तियार न की तो येह ने'मतें कियामत के दिन उस के लिये वबाल होंगी ।_
    हज़रते सय्यिदुना का'बुल अहबार عَلَیْهِ رَحمَةُاللّٰهِ الْغَفَّار फ़रमाते हैं :- _“जो बन्दा अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की ने'मत पर शुक्र अदा न करे और न ही आजिज़ी करे तो अल्लाह عَزَّوَجَلَّ उस बन्दे से उस का दुन्यवी नफ्अ भी रोक देता है और उस के लिये जहन्नम का एक तबका खोल देता है ,अब अल्लाह عَزَّوَجَلَّ चाहे तो उसे अजाब दे और चाहे तो मुआफ़ कर दे ।_
हज़रते सय्यिदुना ज़ियाद नुमैरी عَلَیْهِ رَحمَةُاللّٰهِ الْوَلِی फ़रमाते हैं :- _“जोड्दो तक्वा अपनाने वाला आजिज़ी के बिगैर बे फल दरख़्त की तरह है ।"_
*( 4 )* _तकब्बुर की अलामात से खुद को बचाइये:-_ कि इस तरह खुद ब खुद आजिज़ी पैदा हो जाएगी । तकब्बुर की चन्द अलामात येह हैं मुंह फुला लेना ,तिरछी नज़रों से देखना ,सर को एक तरफ झुकाना ,जब तक उस के पीछे चलने वाला कोई न हो वोह न चले । मुतकब्बिर दूसरों की मुलाकात के लिये नहीं जाता। 
मुतकब्बिर अपने करीब बैठने वाले से नफ़रत करता है । के मुतकब्बिर मरीजों और बीमारों के पास बैठने से भागता है ! मुतकब्बिर घर में अपने हाथ से कोई काम नहीं करता ।मुतकब्बिर घर का सौदा खुद नहीं उठाता । मुतकब्बिर अदना लिबास नहीं पहनता । मुतकब्बिर अपने हुस्नो जमाल और ताकतो कुव्वत पर फ़ख्र करता है । मुतकब्बिर अपने इल्म पर भी तकब्बुर करता है  
वाज़ेह रहे कि येह तकब्बुर की अलामात हैं लेकिन जिस में येह अलामात पाई जाएं ज़रूरी नहीं कि वोह मुतकब्बिर भी हो ,इस लिये किसी भी मुसलमान की ज़ात में इन अलामात के होते हुए उसे मुतकब्बिर समझना या उसे मुतकब्बिर कहना शरअन नाजाइज़ व हराम है ।
*( 5 )* _अपनी सलाहिय्यतों के क़सीदे पढ़ने से बचिये :-_ येह खुद पसन्दी है जो बातिनी बीमारी है ,येह नाजाइज़ व ममनूअ व गुनाह है ,जब बन्दा खुद पसन्दी में मुब्तला हो जाता है तो फिर आजिज़ी व इन्किसारी उस से रुख्सत हो जाती है ,लिहाज़ा खुद पसन्दी से अपने आप को बचाइये ताकि आजिज़ी व इन्किसारी पैदा हो । खुद पसन्दी की मा'लूमात के लिये मक्तबतुल मदीना की मतबूआ 352 सफ़हात पर मुश्तमिल किताब *“बातिनी बीमारियों की मालूमात*" सफ़हा 42 का मुतालआ कीजिये।
_✍🏻बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله_
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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