खड़े होकर पेशाब करना कैसा?
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*📖अल हदीस-::* रसूलुल्ला सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं बेअदबी व बद-तहज़ीबी है यह कि आदमी खड़े होकर पेशाब करे।
बाज़ लोग खड़े होकर पेशाब करने को फ़ख़्र महसूस करते और उस में कुछ हर्ज नहीं समझते हैं, शरीअते इस्लामिया की रौशनी में खड़े होकर पेशाब करने में हर्ज हैं।
*अव्वल 1-::* बदन और कपड़ों पर छींटें पड़ना, जिस्म व लिबास बिला ज़रूरते शरईया नापाक करना, और यह हराम है।
*दोम 2-::* इन छींटों के बाइस अज़ाबे क़ब्र का इस्तेहक़ाक़ अपने सर पर लेना ।
*📖अल हदीस::-* रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं पेशाब से बहुत बचो का अक्सर अज़ाबे क़ब्र इसी से है।
*📖एक हदीस में है::-* 💫रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने दो शख़्सों पर अज़ाबे क़ब्र होते देखा फ़रमाया कि एक अपने पेशाब से आड़ न करता था, और दूसरा चुग़ल-ख़ोरी करता।
*सोम 3-::* रह गुज़र पर हो या जहाँ लोग मौजूद हों तो बाइस बेपर्दगी होगा, बैठने वालों में रानों, ज़ानूवों की आड़ हो जाती है और खड़े होने में बिल्कुल बेसतरी, और यह बाइसे लानत इलाही है।
📜हदीस में है जो देखे उस पर भी लानत और जो दिखाए उस पर भी लानत।
*चहरुम 4-::* यह नसारा के तशब्बुह और उनके तरीक़ा मज़्मूमा में उनका इत्तिबा है, आजकल जिनको यहाँ यहा शौक जागा है उसकी यही इल्लत है और यह मूजिबे अज़ाब व अकूबत है।
💫अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ला फ़रमाता है,
शैतान के क़दमों की पैरवी न करो
*📖अल हदीस::-* रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं जो किसी क़ौम से मुशाबेहत इख़्तियार करे वह उन्हीं में है।
*📖अल हदीस::-* अमीरूल मुमिनीन फ़ारूक़े आज़म रज़ि अल्लाहु तआला अन्हू रिवायत करते है, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने मुझे खड़े होकर पेशाब करते देखा फरमाया- ऐ उमर! खड़े होकर पेशाब न करो, उस दिन से मैंने कभी खड़े हो कर पेशाब न किया !
*📖अल हदीस::-* तीन बातें जफा व बेअदबी से हैं !
1- यह की आदमी खड़े हो कर पेशाब
करे !
2- यह कि नमाज़ में अपनी पेशानी से(मिट्टी या पसीना) पोंछे !
3- यह कि सज्दा करते वक़्त फूंके !
*(📚 फ़ैज़ाने आला हज़रत स,न• 514)*
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