sayriya

जिनको गुर्बत की वजह से हम शादियों में नहीं बुलाते.

वही सबसे पहले हमारे जनाज़े में शरीक होते हैं...!!

अल्लाह का ह़ुक्म था कि 'नफ़्स' को मारना

लोगों ने "ज़मीर" को ही मार दिया😢


*_अपनी सारी मुश्किलें_* 
*_मुश्किल कुशा पे छोड़ दे_*

*_फैसला जो होगा हक़_* 
*_वो तू खुदा पर छोड़ दे_*

*_दास्ताँ इस्लाम की_* 
*_तुझसे अगर पूछे कोई_*

*_बात मदीने से उठा_* 
*_और करबला पे छोड़ दे_*..khwaja ji ka DIWANA MASTANA

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